हिन्दी कहानी: इतिहास, भारतीय समाज में कहानियों का विकास, पारंपरिक कथाएं और आधुनिक कहानियां तथा इनके अंतर, कालक्रम

 इस ब्लॉग पोस्ट में हम कहानी क्या है, हिंदी कहानी का इतिहास, भारतीय समाज में कहानियों का विकास, पारंपरिक कथाएं और आधुनिक कहानियां तथा इनके अंतर आदि बिंदुओं पर अध्ययन करेंगे, और आधुनिक काल की पहली हिंदी कहानी किसने लिखी है। हिंदी कहानी के कालक्रम को किस प्रकार विभाजित किया जाता है, या हिंदी कहानी का कालक्रम किनते वर्गों मे बाटा जाता है।

हिन्दी कहानी: इतिहास, भारतीय समाज में कहानियों का विकास, पारंपरिक कथाएं और आधुनिक कहानियां तथा इनके अंतर, कालक्रम

कहानी क्या है?

कहानी एक विधा है,इसे कथात्मक गद्य रूप में लिखी जाती है। कहानी विश्व में सबसे अधिक प्रचलित व लोकप्रिय विधा है। यह विधा दुनिया के हर समाज,हर काल व सभ्यता के आरंभिक काल से ही किसी न किसी रूप में मौजूद थी।

भारतीय समाज में कहानियों का विकास

इसी प्रकार कहानियों की परंपरा भारतीय सभ्यता में भी विद्यमान थी। प्रारंभ में इन्हें जातक कथाएं पंचतंत्र की कथाएं हितोपदेश के रूप में प्रचलित थी। वर्तमान में प्रचलित कहानियां इन कहानियों से भिन्न प्रकार की कहानी है, किंतु ये अंतर आकर, भाषा या कहानी के तत्वों का नहीं बल्कि कहानी की विचारधारा का अंतर है। जहां पारंपरिक कथाओं में आदर्शवादी या नैतिकतावादी तत्व अधिक मौजूद था वहीं आधुनिक कहानियों में यथार्थवादी दृष्टिकोण केंद्र में है।

प्रारंपरिक कथाओं का मुख्य उद्देश्य नैतिक शिक्षा प्रदान करना होता है, इसलिए प्रत्येक कथा के अंत में बताया जाता था कि, इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है? इसी शिक्षा के केंद्र में रखकर कथाकार घटनाओं और चरित्रों का एक जाल बुनता था, व कहानी का अंत एक निश्चित शिक्षा के साथ खत्म होता था। ये कथाएं सामान्यतः अविश्वसनीय तथा काल्पनिक अधिक होती है।

आधुनिक कहानियों का विकास 

आधुनिक कहानियों अंग्रेजी से लघु कहानी आंदोलन (short story movement) से प्रभावित कहानी है। अंग्रेजों के के शासनकाल के दौरान अंग्रेजी संस्कृति व साहित्य भारतीय समाज का परिचय हुआ। इसके परिणामस्वरूप हिंदी कहानी में भी यथार्थवाद से प्रभावित कहानियां लिखी जाने लगी। इन कहानियों की मुख्य विशेषता यह है थी कि इनमें जीवन का यथार्थवादी पक्ष भी कहानी में शामिल किया गया। आदर्शवाद व काल्पनिकता को कहानियों से दूर किया गया।

हिंदी कहानी आधुनिक गद्य की सबसे अधिक प्रचलित विधा है। यह आधुनिक कहानियां भारतीय समाज में अंग्रेजी के short story movement से प्रभावित है। इन कहानियों के आदर्शवाद तुलनात्मक रूप से काम व यथार्थवाद अधिक है।

हिंदी की पहली कहानी

हिंदी की पहली कहानी के बारे में कई मत भेद है, क्योंकि प्रारंभिक समय में कई कहानी रचनाएं एक दौर में लिखी जा रही थी। इन कहानियों में कहानी के तत्व भिन्न भिन्न मात्रा में दिखाई देते है। हिंदी की पहली कहानी: 

कालक्रम की दृष्टि से देखे तो सन् 1803 में लिखित सै. इंशाअल्ला खां द्वारा रचित कहानी "रानी केतकी की कहानी" है, किंतु यदि इस कहानी के तत्वों को देखे तो इस कहा में फारसी थिएटर के लटके झटके से अधिक प्रभावित है। इस सूची में अगली कहानी राजा शिवप्रसाद सितारेहिंद द्वारा लिखित "राजा भोज का सपना" और भारतेंदु हरिशचंद्र की "एक अद्भुत अपूर्व स्वप्न" है। किंतु इन कहानियों में किस्सागोई के तत्व अधिक है। इस आधार पर इन कहानियों को भी हिंदी की पहली कहानी नही माना जा सकता है।

इस दिशा में अगली कहानी किशीरोलाल गोस्वामी द्वारा लिखी गई कहानी "इंदुमति" का स्थान है, किंतु कुछ साहित्यकारों का मानना है की यह कहानी शेक्सपीयर की प्रसिद्ध कहानी द टेंपेस्ट (the tempest) से प्रभावित है न की मूल कहानी है, इस आधार पर यह कहानी भी हिंदी की पहली कहानी नही है।

अंततः हिंदी की पहली कहानी माधवराव सप्रे द्वारा 1901 में लिखित कहानी "एक टोकरी भर मिट्टी" मानी जाती है। यह कहानी 1901 में छत्तीसगढ़ मित्र नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। इस कहानी में कहानी के संपूर्ण तत्व विद्यमान है।

हिंदी कहानी के कालक्रम 

हिंदी कहानी की संपूर्ण यात्रा को मुख्य रूप से 5 चरणों में विभाजित किया जाता है 
1. प्रेमचंद पूर्व युग (1901-1915) इस काल की कहानियां अपने प्रारंभिक दौर में थी, जिनमे अभी भी काफी मात्रा में आदर्शवाद मौजूद था। इन कहानियों में भारतीय परंपरा के साथ साथ पश्चिमी कहानियों के तत्व भी शामिल थे। इस काल की मुख्य कहानियां: उसने कहा था(चंद्रधर गुलेरी) ग्यारह वर्ष का समय(रामचंद्र शुक्ल)
2. प्रेमचंद प्रसाद युग ( 1915-1936) इस काल में दो विभिन्न प्रकार की शैलियों का विकास हुआ। प्रेमचंद सामाजिक यथार्थवाद की कहानियां लिखते थे वही प्रसाद मनोवैज्ञानिक सत्यों की कहानियां का निम्न करते थे। जयशंकर प्रसाद सामाजिक यथार्थ से ज्यादा महत्व वक्ति के भीतर विद्यमान मानसिक यथार्थ को दिया है। इस काल की कहानी जैसे ग्राम, चंदा, रसिया बालम (जयशंकर प्रसाद), बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी (प्रेमचंद)
3. उत्तर प्रेमचंद युग (1936-1955) यह काल प्रगतिवादी या सामाजिक कहानियों के प्रभाव में रहा, इस काल की कहानियां मुख्यत मार्क्सवाद से प्रभावित थी। इस काल की कुछ कहानियां जैसे भूख के तीन दिन (यशपाल), भूख कर गई (नागार्जुन)
4. नई कहानी (1955-1960) नई कहानियां 1955 से 1963 ई. के मध्य विकसित हुई। इस काल में 18 लेखकों के समूह शामिल है जिनकी रचनाओं को भी नई कहानियां कही जाती है। इन कहानियों में शामिल है परिंदे (डॉ. नामवर सिंह), 
5. नई कहानी के बाद परवर्ती आंदोलन (1960-आज तक) नई कहानी के बाद हिंदी कहानी को सामान्यत समकालीन कहानी कहा जाता है। इसके अंतर्गत अकहानी, समांतर कहानी, जनवादी कहानी, सहज कहानी शामिल है।

कहानी एक प्रभावशाली और लोकप्रिय साहित्यिक विधा है, जो विश्व के हर समाज और काल में किसी न किसी रूप में मौजूद रही है। कहानी के प्रारंभिक दौर से लेकर समकालीन कहानी तक, हिंदी साहित्य ने एक लंबा सफर तय किया है, जिसमें हर युग ने कहानियों को नए आयाम दिए हैं। यह यात्रा न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज और संस्कृति की बदलती धारा को भी प्रतिबिंबित करती है। इस आर्टिकल में हम ने कहानी का इतिहास, कहानी की विकास यात्रा, पारंपरिक कथाएं, आधुनिक कहानियां व कहानी के कालक्रम आदि के बारे में अध्ययन किया है।


यह आर्टिकल पढ़ने के लिए धन्यवाद, hindikitaaben.online 




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