हिंदी कहानी व उपन्यास के तत्व: उद्देश्य, कथानक और कथावस्तु, देश काल वातावरण, भाषा शैली, संवाद योजना और पात्र या चरित्र

पश्चिमी साहित्य में कहानी और उपन्यास के छः तत्व माने गए है उद्देश्य, कथानक और कथावस्तु, देश काल वातावरण, भाषा शैली, संवाद योजना और पात्र या चरित्र। इस ब्लॉग आर्टिकल में हम इन्ही छः तत्वों के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे

हिंदी कहानी व उपन्यास के तत्व: उद्देश्य, कथानक और कथावस्तु, देश काल वातावरण, भाषा शैली, संवाद योजना और पात्र या चरित्र

1. उद्देश्य: 

  • उद्देश्य का अर्थ है, की रचनाकार ने कहानी या उपन्यास किस उद्देश्य को केंद्र मे रखकर कहानी की रचना की है, अर्थात् कहानी लिखने का प्रयोजन ही उद्देश्य होता है। कुछ साहित्यकार धन या प्रतिष्ठा के लिए साहित्य लिखते है, जो की एक सुक्ष्म उद्देश्य है। किंतु जो साहित्यकार साहित्य की सामाजिकता का सम्मान करते है, उनका उद्देश्य बड़ा व व्यापक होता है। यह उद्देश्य सम्माज में सकारत्मक परिवर्तन करना होता है। 
  • एक अच्छा रचनाकार उद्देश्य को प्रत्यक्ष रूप से थोपकर नही देता बल्कि रचना में घटनाओं व पात्रों के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से पेश करता है, ताकि पाठक के हृदय में एक उच्च स्तरीय प्रभाव हो।
  • आधुनिक काल में विशेष रूप से 1960 के बाद से साहित्य में उद्देश्य का महत्व कम हुआ है, अब लेखक यथार्थवाद पर अधिक बल देता है। अधिकांश लेखक अब यथार्थ का वर्णन करते है।

2. कथानक और कथावस्तु

  • कथानक अर्थात प्लॉट वह है, को किसी साहित्य रचना में घटनाओं, चरित्रों और वर्णनों को आपस में बांधता है। एक अच्छे कथानक में घटना व वर्णन की भरमार न हो और न ही पात्र अधिक मात्रा में हो, बल्कि इनके मध्य अनुपात व गति उचित हो। 
  • गति का अर्थ है की रचना मे अनावश्यक विराम न हो, और न ही गति इतनी अधिक हो की पाठक कहानी समझने में असमर्थ हो।
  • अच्छे कथानक का एक गुण 'संबंध-निर्वाह' होता है। लेखक विभन्न चरित्रों व घटनाओं को ठीक तरीके से आपस में जोड़ देता है, तो यह एक कुशल 'संबंध-निर्वाह' का उदाहरण है। 
  • कथावस्तु कथावस्तू से अभिप्राय है की कहानी या उपन्यास की विषयवस्तु या सामग्री कहा से ग्रहण की गई है। कथावस्तु का स्रोत इतिहास, वर्तमान या कल्पना भी हो सकता है। इसी प्रकार कथावस्तु को तीन मुख्य वर्गों मे विभाजित किया जाता है, 1) प्रख्यात: प्रसिद्ध कथा या इतिहास को आधार बनाकर कहानी या उपन्यास लिखना, 2) उत्पाद्य: कहानी या उपन्यास पुराण रूप से कल्पना हो, और 3) मिश्रित: कहानी या उपन्यास प्रसिद्ध घटना या इतिहास और कल्पना का मिश्रित रूप से लिखी है हो।
  • एक अच्छी कथावस्तु विश्वसनीय और प्रमाणिक होती है, इसीलिए घटना व चरित्र भी विश्वसनीय होने चाहिए। कहानी में संयोग तत्व का महत्व कम से कम होना आवश्यक है।

3. देश-काल, वातावरण

  • देश-काल एक अच्छी रचना वह है, जिसमें देश काल की सूचनाएं आवशयक मात्रा में दी जाती है। किंतु सूचनाएं प्रत्यक्ष रूप से दी जाए तो रचना उस विशेष काल व देश में सीमित रह जाती है, तथा रचना कमजोर होती है। इसलिए कुछ साहित्यकार देश काल की जानकारी अप्रत्यक्ष रूप से पाठक को प्रदान करते है, अप्रत्यक्ष रूप से रचना की परिस्थितियां दिखाते है, जिस कारण रचना, रचना के काल के साथ साथ आज के समय में भी प्रासंगिक लगे।
  • वातावरण(उपन्यास) वातावरण का अर्थ प्राकृतिक वातावरण नही है बल्कि सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक वातावरण से है। अच्छे साहित्यकार रचना में वातावरण इस प्रकार सूचित करते है, की रचना जीवंत बना देता है ताकि पाठक स्वयं को उसी वातावरण के भीतर महसूस करने लगता है।

4. भाषा शैली 

  • भाषा शैली से अभिप्राय है की रचनाकार द्वारा किस भाषा का प्रयोग किया गया है, तथा उनमें विभिन्न शब्द का अनुपात कैसे किया गया है। रचना में मुहावरों, लोकोक्तियों का प्रयोग किया है, या नही। लेखक द्वारा प्रतीक, बिंब और उपमानों को अपनी रचना में स्थान दिया है की नही। 
  •  रचनाकार द्वारा व्यंग का प्रयोग कर भी भाषा शैली को विकसित किया जा सकता है। इन तत्वों के प्रयोगों से कहानी की भाषा क्षमता काफी बढ़ती है।

5. संवाद और कथोपकथन 

  • एक अच्छी संवाद योजना वह होती है, जहां संवाद छोटे, कसे हुए, चुस्त और गतिशील हो। संवाद का गतिशील होना आवश्यक है, ताकि एक बात से दूसरी बात निकलती जाए। 
  • किसी कहानी या उपन्यास में चरित्रों की सीधी बातचीत हो तो पाठक के ऊपर रचना का प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है, क्योंकि पाठक सीधे चरित्रों से रुबरु होता है न की लेखक द्वारा। यदि लेखक पात्रों के मध्य बताता है की किस पात्र ने क्या कहा है, तो रचना का संवाद कमजोर होता है। 

6. पात्र या चरित्र 

  • किसी रचनाकार को अपनी बात रचना के माध्यम से कहने से पहले उसे रचना के लिए पात्र बुनने होते है। इन्ही पात्रों के माध्यम से लेखक अपनी बात या विचार समाज के समक्ष रखता है। एक अच्छे लेखक की पहचान है की वह अपने आप को किसी भी पात्र में प्रतीत नहीं होने देता है। 
  • अच्छी चरित्र योजना का लक्षण है की, रचना में पात्र भिड़ न हो अर्थात् पात्र की संख्या अधिक नहीं होनी चाहिए। पात्रों की संख्या रचना की आवश्यकता अनुसार ही होनी चाहिए। 
  • अच्छी चरित्र योजना का एक अन्य लक्षण यह यह है की रचना में सभी चरित्रों का महत्व समान नही जो, बल्कि आवश्यकता अनुसार ही उन्हें रचना में स्थान दिया जाए। 
धन्यवाद...

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