नई कहानी: नई कहानी आंदोलन, आजादी के बाद की कहानी, हिंदी कहानी साहित्य (nai kahani aandolan, aazadi ke baad ki kahani, hindi sahitya)

हिन्दी साहित्य के इस ब्लॉग में आप हिंदी की नई कहानी परंपरा के बारे में जानेंगे, नई कहानी क्या होती है। इस ब्लॉग के आपको हिंदी नई कहानी, नई कहानी परिस्थितियां, इन्हें नई कहानी क्यों कहां जाता है?, आदि के बारे में जानेंगे और इसके साथ नई कहानी अपनी पूर्ववर्ती कहानियों से भिन्न किस प्रकार है। 

नई कहानी: नई कहानी आंदोलन, आजादी के बाद की कहानी, हिंदी कहानी साहित्य (nai kahani aandolan, aazadi ke baad ki kahani, hindi sahitya)

नई कहानी 

  • नई कहानी हिंदी कहानी के इतिहास का सबसे अधिक महत्वपूर्ण आंदोलन है, नई कहानी का काल क्रम मुख्य रूप से 1955 से 1965 तक माना जाता है।
  • 1956 ई. मे भैरव प्रसाद गुप्त के संपादक मे नई कहानी नाम से एक विशेष अंक निकाला, जिसमे 18 लेखकों की कहानियां शामिल की गई। इसी विशेष अंक के आधार पर इन कहानियों को नई कहानी कहा गया। नई कहानी के प्रस्तावकों मे मोहन राकेश, राजेंद्र यादव तथा कमलेश्वर, निर्मल वर्मा, कृष्णा सोबती, मनु भंडारी शामिल है।
  • नई कहानी के प्रवर्तक कौन है, इस प्रश्न पर विवाद है। डॉ. नामवर सिंह ने निर्मल वर्मा द्वारा लिखित कहानी "परिंदे" को पहली नई कहानी माना जाता है। सामान्य सहमति है, कि परिंदे हिंदी की पहली नई कहानी है।

नई कहानी की परिस्थितियां 

  • किसी भी साहित्य रचना पर उस समय की परिस्थितियों का गहरा असर दिखाई देता है। इसी प्रकार से नई कहानियों पर भी तात्कालिक समय का असर साफ रूप से दिखाई देता है,, 1950 के बाद भारत में सभी साहित्यिक रचना में परिवर्तन/ नवलेखन की प्रवृत्ति विकसित हुई, जैसे नई कहानी, नई कविता, नई समीक्षा, नया उपन्यास आदि। इन सभी आंदोलन के मूल में प्राय: एक समान परिस्थितियां थी।
  • आज़ादी के बाद से तीव्र शहरीकरण होने लगा। गांव के लोग रोजगार और उच्च शहरी विशेषताओं के कारण शहरों में आकर बसने लगे, लोगों को रोजगार तो मिला किंतु शहरों के अकेलेपन व अलगाव से भी परिचित हुए। अकेलापन और अलगाव जैसी समस्या उन्हें संबंधहीन, एकाकी जीवन जीने पर मजबूर कर दिया,, इसी समय शहरी व शिक्षित मध्यवर्ग का तेजी से विकास हुआ, जो सामाजिक दायित्वों के स्थान पर अपने वक्तिगत हितों व सपनों को लेकर ज्यादा चिंतित था। इसी समय स्त्रियां शिक्षित, आत्मनिर्भर और स्वतंत्र होने लगी थी, जिसके कारण स्त्री पुरुष सम्बन्ध में बुनियादी परिवर्तन आने लगा। पारिवारिक संबंध में परिवर्तन प्रारंभ हुआ, पारिवारिक ढांचा टूटने लगा।  इन्ही सब परिस्थितियों मे शहरी मध्यवर्ग के टूटने व अलगाव को नई कहानी ने अपना विषय बनाया।

नई कहानी को नई कहानी क्यों कहते है ?

  • काल की दृष्टि से प्रत्येक कहानी अपनी पूर्ववर्ती कहानी की तुलना मे नई कहानी होती है, फिर इन्हें नई कहानी क्यों कहा गया। नई कहानी के समर्थकों का दावा है कि नई कहानी सचमुच पहले की कहानी परंपरा से कई मायनों मे भिन्न है, क्योंकि यहां जीवन के प्रति जो नज़रिया मिलता है, यह पहले के किसी भी साहित्य में नही मिलता। 
  • पहले की कहानी आदर्शवादी कहानी होती है थी, जिनमे कोई न कोई उद्देश्य दिखाई पड़ता है, जैसे उपदेश देना, प्रगतिवादी सामाजिक परिवर्तन आदि। नई कहानी घोषित रूप से किसी थोपे हुए उद्देश्य का विरोध करती है, यह केवल वास्तविक जीवन को प्रस्तुत कर देना चाहती है।
  • पहले की सभी कहानियों में कथानक को अत्यधिक महत्व मिलता रहा है, पारंपरिक कहानियों मे तो साफ तौर पर एक सरल और सुगठित कथानक दिखता है, जो प्रारंभ, मध्य और अंत जैसे बिंदुओं के माध्यम से विकसित होता है। नई कहानियों मे कथानक बिखर गया है, इसका मूल तर्क यह है कि यदि जीवन मे ही बिखराव है तो कहानी मे बिखराव क्यों न हो ? यहां कथानक घटनाओं के माध्यम से निर्मित नही होती, स्थितियों के माध्यम से सरंचित होती है। 
  • पहले कहानियों में संयोग और आकस्मिकता जैसे नाटकीय तत्व प्रबल मात्रा मे उपस्थित रहते थे। इन तत्वों के कारण कहानी मे रोचकता और नाटकीय तनाव की सृष्टि तो होती थी किंतु कहानी उतनी ही मात्रा में यथार्थ से दूर हो जाती है। नई कहानी संयोग के तत्वों से सामान्यत परहेज करती है। यहां कुछ भी अचानक नही घटता, सभी चीजें स्वभाविक रूप में दिखाई देती है।
  • पहले की कहानी के केंद्र मे या तो उच्च वर्ग होता था या निम्न वर्ग। मध्यवर्ग कही कही दिखाई पड़ता था, किंतु मध्यवर्ग की विशिष्ट सोच तथा स्थितियों की जटिल प्रस्तुति नही होती थी। 

नई कहानी की विशेषताएं 

  • नई कहानियों की सबसे बड़ी विशेषता है कि, "अनुभूति की प्रमाणिकता" या "भोगे हुए यथार्थ" पर बल। नई कहानी के कहानीकार की स्पष्ट मान्यता है कि कहानी जीवन के वास्तविक अनुभवों के प्रति जवाबदेह होनी चाहिए। मोहन राकेश और निर्मल वर्मा की कहानियों मे भोगे हुए यथार्थ प्रबल रूप मे दिखाई देता है।
  • नई कहानी के केंद्र मे शहरी मध्यवर्ग का जीवन है। बड़े शहरों मे मध्यवर्ग की कुछ विशिष्ट समस्याएं होती है, जैसे अपनी जड़ों के उखड़ने की त्रादशी और सामाजिक सम्बन्ध का अभाव से उत्पन्न होने वाला अकेलापन, अजनबीपन व निर्र्थकता बोध आदि। नई कहानी ने शहरी मध्यवर्ग की इन पीड़ाओं को विस्तारपूर्वक व्यक्त किया है।
  • नई कहानी का सबसे प्रमुख विषय मानवीय संबंधों में विद्यमान बिखराव की समस्या है। जब ग्रामीण समाज अपने पारंपरिक सोच से अलग होकर शहरी मध्यवर्ग में शामिल हुआ तो सयुक्त परिवारों में बिखराव आना शुरू हुआ, पारिवारिक संबंध भी उपयोगितावादी नजरिए से देखे जाने लगे। नई कहानी मे रिश्तों का यह टूटना अत्यंत मुखर रूप में उपस्थित है। 
  • नई कहानी के एक मुख्य परिवर्तन स्त्री पुरुष संंबधो में हुआ परिवर्तन है। इस दौर की स्त्री आर्थिक और सामाजिक रूप से स्वतंत्र थी, आत्मनिर्भर नारी अपने आत्मसम्मान से समझोता करने के लिए तैयार नहीं थी, जबकि कुछ रूढ़ीवादी पुरुष भी स्त्री को स्वतंत्र मानने को तैयार नहीं थे। इसका परिणाम यह हुआ कि तलाक जैसे प्रवर्तियाँ तेजी से बढ़ने लगी। नई कहानी में इस तरह के परिणाम दिखाई पड़ते है। 

नई कहानी का मूल्यांकन

  • नई कहानी अपनी पूर्ववर्ती कहानियों की तुलना में बहुत भिन्न है। नई कहानी मध्यवर्ग को केंद्र में रखकर लिखी जाने लगे, जो की मध्यवर्ग द्वारा भोगा हुआ यथार्थ प्रस्तुत करती है। नई कहानियों में कथानक और भाषा शैली में भी व्यापक परिवर्तन हुआ, कहानी की संरचना पूर्ण रूप से बदल गई। 

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